बैखौफ जालसाजे ने डीआईजी बनकर एसपी को ही किया फोन, बस अड्डे से पकड़ा गया

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बैखौफ जालसाजे ने डीआईजी बनकर एसपी को ही किया फोन, बस अड्डे से पकड़ा गया

किसी खास के दबाव में आकर पुलिस छोडऩे को हो जाती है मजबूर फिर यह करता है क्षेत्रों में जालसाजी नहीं हो रहा कोई स्थाई निदान।

प्रतापगढ़। जिले में एक एसा जालसा पकड़ा गया है जो बेखौफ होकर डीआईजी बनकर एसपी को ही फोन कर के दबाव में डाल दिया जिसे सुनकर लोग हैरत में आ जा रहे हैं। फ्राड काल करने वाला युवक पुलिस के गिरफ्त मे आगया। सादे कपड़ों में पहुंची पुलिस ने उसे जिले के रोडवेज बस अड्डे के पास से गिरफ्तार कर लिया। तत्कालीन एसपी डॉ. अनिल कुमार के पीआरओ प्रमोद कुमार पाठक की ओर से एफआईआर दर्ज कराई गई। पत्र में लिखा गया है कि आठ जुलाई, पांच अगस्त को एक व्यक्ति ने एसपी के सीयूजी नंबर पर फोन किया। उसने खुद को डीआईजी बताते हुए एसपी से बात कराने को कहा। जांच में पता चला कि फोन करने वाला आसपुर देवसरा के अमरगढ़ मोलनापुर निवासी शिवांश तिवारी है। पीआरओ की तहरीर पर शिवांश के खिलाफ नगर कोतवाली में एफआईआर दर्ज की गई है। शिवांश तिवारी को रोडवेज बस अड्डे से सादे कपड़ों में पहुंचे पुलिस वाले कार से लेकर चले गए। शिवांश के पिता संजय तिवारी ने उसे अगवा करने की तहरीर दी। इस दौरान पता चला कि शिवांश ने पकड़े जाने से पहले फिर एसपी के सीयूजी नंबर पर फोन कर खुद को डीआईजी पीके तिवारी बताया। उसने एसपी से बात भी की। सूत्रों के अनुसार बातचीत के दौरान शिवांश ने शहर के शिवजी पुरम मोहल्ले में एक विवाद के मामले में घर में बंद ताला खोलवाने की सिफारिश भी किया। फिर पुलिस उसका शांतिभंग की आशंका में चालान कर दिया गया। लेकिन हैरान करने वाली बात यह कि इस तरह का कृत्य करनेवाले पर इतनी छोटी और दिखावटी कर के छोड़ दिया गया। जबकि पुलिस खुद समझ सकती है जो ब्यक्ति जिले के आलाकमान सम्भलने वाले को फोन कर गुमराह और फ्राड कर सकता है तो वह आम जनता के साथ क्या करेगा। लोगों की माने तो अब यह क्षेत्र के सभ्रांत जनों और सीधेसादे लोगों को धमकाने और परेशान करने का कार्य किया जा रहा है। लेकिन बड़ा सवालिया निशान लग रहा है कि आखिर इतने बड़े फ्राडिया पर पुलिस इतनी सिथिल क्यों है। योगी राज में इस तरह के ब्यक्ति से लोग कैसे लोग सुरक्षित रहेंगे। किसके दबाव में पुलिस बेरंग लौटकर खामोश हो जा रही है। यह जिले से लेकर प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। देखना यह है क्या पुलिस इस गिरफ्तार कर कोई ठोस कार्यवाही करती है और इससे लोगों को हमेशा के लिए सुरक्षित करती है या बस अंजान बनकर सवालिया निशान खड़ा करवाती है।

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