गौतमबुद्ध नगर:-कहा जाता है कि गलत कार्य का गलत ही नतीजा होता है इस प्रकार की कहावत सेक्टर 52 स्थित अनाया डायग्नोस्टिक सेंटर पर सही साबित हो गई इस सेंटर पर कुछ समय पहले एक महिला मरीज के पेट का अल्ट्रासाउंड किया गया जहाँ इस सेंटर द्वारा महिला के पेट में पथरी बताई और रिपोर्ट में दर्ज की गई इस रिपोर्ट के बारे में महिला मरीज के परिजनों को कुछ शक हुआ तो उन्होंने महिला का दूसरी जगह अल्ट्रासाउंड कराया लेकिन वहां रिपोर्ट में पथरी नहीं आई उसके बाद महिला मरीज का तीसरी जगह अल्ट्रासाउंड कराया गया लेकिन वहां भी पथरी नहीं आई महिला के परिजनों ने अनाया डायग्नोस्टिक सेंटर के विरुद फर्जी रिपोर्ट बनाने को लेकर कई जगह शिकायत दर्ज कराई लेकिन पीड़ित की कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई ।उसके बाद पीड़ित ने अपनी शिकायत को लेकर न्यायालय में न्याय की गुहार लगाई ।न्यायालय के द्वारा सभी साक्ष्यों को देखते हुए अनाया डायग्नोस्टिक पर मुकदमा पंजीकृत कर आवश्यक कार्यवाही करने के आदेश थाना सेक्टर 24 को दे दिए ।पुलिस ने इस सेंटर के विरुद्ध के गम्भीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर लिया है और कार्यवाही की जा रही है ।मुकदमा पंजीकृत होते ही सेंटर संचालक एंव कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है ।
*यह था पूरा मामला*
मामला नोएडा के सेक्टर 52 स्थित अनाया डायग्नोस्टिक सेंटर का है जहां डॉ शिवानी ने विगत 13 अप्रैल 23 को श्रीमती अर्चना मिश्रा का अल्ट्रासाउंड किया। अल्ट्रासाउंड में मरीज के गुर्दे में 17.5 एमएम पथरी होने की रिपोर्ट दिया। परिजनों को संदेह हुआ तो उन्होंने नोएडा सेक्टर 61 स्थित डॉ मोनिका के दूसरे अल्ट्रासाउंड सेंटर पर 14. अप्रैल को जाकर दोबारा से अल्ट्रासाउंड कराया। तो पता चला की पथरी जैसी कोई बात नहीं है। विश्वास और अविश्वास के बीच झूलता यह परिवार एक बार फिर से 21 अप्रैल 23 को नोएडा सेक्टर 11 स्थित मेट्रो हॉस्पिटल फिर से अल्ट्रासाउंड कराया। इस बार भी पथरी जैसी कोई रिपोर्ट नहीं आई । अब सवाल उठता है कि अनाया जिसने 17.5 एमएम पथरी क्यू रिपोर्ट किया। दरअसल अल्ट्रासाउंड डायग्नोसिस सेंटर संगठित अपराध की तरह व्यवहार कर रहे हैं। मरीजों को इस तरह से रिपोर्ट करके उन्हें ऑपरेशन के लिए विवश करते हैं। इसका क्या मतलब निकाला जाए ? इस रिपोर्ट को आधार बनाकर मरीज के परिजन निर्णय ले लेते अनावश्यक रूप से लाखों रुपए का व्यय होता।
डायग्नोस्टिक सेंटर संचालक और डॉक्टर के बीच एक बड़ा नेक्सस बना हुआ है। जिस कारण शिकायत के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। पीड़िता श्रीमती अर्चना मिश्रा ने न्यायालय में वाद दायर किया। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए परीक्षण उपरांत डायग्नोसिस सेंटर पर प्राथमिक दर्ज किए जाने का आदेश दिया। न्यायालय के आदेश के बाद नोएडा पुलिस ने डायग्नोसिस सेंटर की रेडियोलॉजिस्ट डॉ शिवानी, संचालक डॉ आर सिंह पर गम्भीर धाराओं एफआईआर दर्ज कर लिया है।मुकदमा पंजीकृत होते ही आरोपियों में हड़कंप मचा हुआ है उधर पीड़ित को इस कार्यवाही से न्याय की उम्मीद जागी है।