प्रयागराज। 16 साल की उम्र से खून की नदियां बहाने वाला कुख्यात माफिया अतीक अहमद की बेनामी बेशकीमती संपत्ति की जांच अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग भी करेगा।प्रयागराज पुलिस ने इसकी रिपोर्ट ईडी और आयकर अफसरों को भेजी है।राजमिस्त्री के नाम पर बनाई गई यह संपत्ति गौसपुर कटहुला में है।इसे गैंगस्टर के तहत बीते साल कुर्क किया जा चुका है।
12.42 करोड़ की इस संपत्ति को अपराध से अर्जित माना गया।न्यायालय के आदेश पर इसे पुलिस ने कुर्क किया था। इस बेनामी संपत्ति का खुलासा तब हुआ था जब लिखापढ़ी में इसके मालिक लालापुर के हूबलाल ने पुलिस न्यायालय के समक्ष पहुंचकर यह जानकारी दी कि अतीक अहमद ने जबरदस्ती उसके नाम पर यह जमीन लिखाई थी।साथ ही यह भी कहा था कि जब वह कहेगा तो हूबलाल को उसके नाम पर जमीन लिखनी होगी।
संपत्ति कुर्क होने के छह महीने की अवधि बीतने के बाद भी कोई अपील न होने पर पिछले दिनों ही पुलिस आयुक्त न्यायालय से मामला गैंगस्टर कोर्ट में भेज दिया गया था। अब कमिश्नरेट पुलिस ने इस संपत्ति के संबंध में एक रिपोर्ट ईडी, एसटीएफ और आयकर विभाग की बेनामी निषेध इकाई(बीपीयू) को भेज दी है।
बता दें कि ईडी ने 2021 में कुख्यात माफिया अतीक अहमद के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। जांच के दौरान ही अतीक अहमद और उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन की तीन करोड़ की संपत्ति भी जब्त की थी। उमेश पाल हत्याकांड के बाद अप्रैल में ईडी ने अतीक अहमद के करीबी बिल्डरों, मददगारों और चार्टर्ड अकाउंटेंट के ठिकानों पर छापेमारी कर भारी मात्रा में नकदी और अन्य सामान बरामद किया था।मामले की जांच ईडी के सब जोनल कार्यालय प्रयागराज की टीम कर रही थी। पिछले साल नवंबर में यह मामला दिल्ली ईडी मुख्यालय की एसटीएफ को ट्रांसफर कर दिया गया था। इससे आधिकारिक रूप से तो सामने नहीं आई। बरहाल चर्चा थी कि अतीक अहमद के कुछ करीबी बिल्डरों ने भ्रष्टाचार की शिकायत की थी।
ईडी ऐसेे करेगी जांच
ईडी एसटीएफ की ओर से पहले इस संपत्ति का पूरा विवरण निकाला जाएगा।
संपत्ति के मौजूदा मालिक को बुलाकर पूछताछ और बयान दर्ज किया जाएगा।
इस मामले में बैनामे में रहे गवाहों का भी बयान दर्ज किया जाएगा।
जांच में यह पाया जाता है कि संपत्ति अपराध से अर्जित की गई तो इसे अस्थायी तौर पर अटैच करने की कार्रवाई की जाएगी।
आयकर विभाग इसकी करेगा पड़ताल
बेनामी निषेध इकाई पहले संपत्ति का पूरा विवरण एकत्र करेगी।
संपत्ति के लिए भुगतान करने वाले व्यक्ति की जानकारी जुटाएगी।
भुगतान कैसे किया गया।
नोटिस जारी कर वर्तमान मालिक को पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।
जरूरत पड़ने पर आईओ 90 दिनों के लिए बेनामी संपत्ति को जब्त भी कर सकता है।