इंजीनियर लख्मीचंद यादव के जन्म से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों को आप सब भी जाने किन नाजुक हालातों में इंजीनियर लख्मीचंद यादव का हुआ है जन्म
दोस्तो जिस वक्त हम अपनी मां की कोख में 3 महीने के थे उस वक्त हमारे पिताजी श्रीं दर्यावसिंह को दो बेबस-लाचार आदमियों पर भीड़ द्वारा बरसाई जा रही लाठियों से पीटते हुओ को मौत के मुह से बचाने पर भीड़ में से किसी ने पीछे से बल्लम मार दिया जो पिताजी के पेट से आरमपार हो गया पिताजी को लहूलुहान हालत में बुलंदशहर के हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया जहां 6 महीने तक उनका हॉस्पिटल में इलाज चला।
मेरा जन्म होते ही पिताजी दूसरे ही दिन हॉस्पिटल से ठीक होकर घर आ गए ये भी कोई चमत्कार से कम नही था।
पिताजी की नाजुक हालत को देखकर उनकी सही सलामती के लिए ऊपर वाले से दुआएं कर-कर के मेरी माँ 6 महीने तक रौ-रौ कर बेबस लाचार हो गयी वह ठीक से खाना भी नही खाती थी व प्यासी होते हुए पानी भी नही पी पाती थी व हर समय रोती ही रहती थी जिसकी वजह से मां लगातार 6 महीने तक ज्यादातर बीमार ही रही वो मरने से भी बाल बाल बची इतनी भयंकर बीमार वो रही जिस वक्त हम मां के पेट मे पल रहे थे।
ऐसी नाजुक हालातो में हम मां की कोख में पले ऐसी हालातो में हमने जन्म लिया है आप स्वयं सोच सकते है हमारी मां पर उस वक्त क्या बीती होगी पिताजी घर मे अकेले ही कमाने वाले थे उस कंडीशन में मां ने खुद को संभाल कर घर भी संभाला और पिताजी की भी पूरी देख रेख की।
हमारी रग-रग में ही गरीब कमजोरो के प्रति हमदर्दी है हम चाह कर भी इस हमदर्दी को छोड़ नही सकते क्योंकि ये पैदायसी ही है इसलिए हम जैसा मानवता वाला आदमी इस आपा धापी के दौर में होना मुश्किल है।हमने इसलिए ये लिखा है ताकि लोग हममें बुराई ना देखकर हमारी अच्छाई पर ध्यान केंद्रित करें।मात्र 6 साल की उम्र में हमने अपने ही सरकारी स्कूल के हैड मास्टर का ईंट से सिर फोड़कर जनसेवा की शुरुआत कर दी थी।