नई दिल्ली:- पंजाब में हैरान कर देने वाला मामला पिछले दिनों सामने आया था। पंजाब की भगवंत मान सरकार में पिछले 20 महीने से मंत्री के रूप में काम करने वाले कुलदीप धालीवाल जिस मंत्रालय का काम देख रहे थे, वो विभाग अस्तित्व में ही नहीं था। जिसको लेकर सरकार उनकी और मान सरकार की खूब किरकिरी हुई। अब इसी मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि एक फर्जी ऑर्डर की वजह से 57 क्लर्क, डेटा एंट्री ऑपरेटर और सेवादारी के कार्य से जुड़े कर्मचारियों का ट्रांसफर हो गया। इस वजह से पंजाब सरकार पर प्रश्न चिह्न खड़े हो रहे हैं।
हैरान करने वाली बात ये है कि किसी भी सरकारी आदेश के बाद उसकी औपचारिकता के लिए आदेश की प्रति विभाग को जिला स्तर पर दी जाती है। लेकिन पंजाब में अधिकारियों ने बिना औपचारिक आदेश कॉपी के ही ट्रांसफर करना शुरू कर दिया। जिसके बाद सोशल मीडिया पर उस आदेश को फिर से शेयर किया जाने लगा और मामला तूल पकड़ लिया।
शिक्षा निदेशक के आदेश के बाद शांत हुआ मामला:
इस मामले ने जब तूल पकड़ा, तब शिक्षा विभाग के निदेशक को इसकी जानकारी मिली। स्थिति ऐसी हो गई कि आनन-फानन में शिक्षा निदेशक ने लेटर जारी कर बताया कि आप सभी जिस आदेश के नाम पर कर्मचारियों का ट्रांसफर कर रहे हैं, वो आदेश ही फर्जी है। इस तरह का कोई आदेश सरकार की ओर से जारी नहीं हुआ है। बीते बुधवार को शिक्षा विभाग के निदेशक ने इस बात की जानकारी दी कि फर्जी ऑर्डर के आधार पर कुछ जगहों के जिला शिक्षा अधिकारी और स्कूलों के अधिकारियों का नए स्थानों पर ट्रांसफर किया जा रहा है। इस जानकारी को साझा होने के बाद शिक्षा महानिदेशक की ओर से सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और स्कूलों को बताया गया कि फिलहाल कोई ट्रांसफर आदेश हुआ ही नहीं है। ऐसे में कोई भी कार्रवाई सही नहीं हैं। आप कार्रवाई न करें। इसके बाद विभाग की ओर से बताया गया कि जब कोई आदेश जारी होता है तो उसके लिए शासन की ओर मेल जारी किया जाता है। ऐसे में कहीं और से जारी किए गए आदेश पर भरोसा न करें। फर्जी आदेश के आधार पर विभाग में हलचल मच गई। ऐसे में ये सवाल उठता है कि आखिर अधिकारियों ने इस तरह किसी भी आदेश के जारी होने की पुष्टि क्यों नहीं की।