जनपद के किसान भाइयों के लिए खरीफ फसलों को लेकर जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने जारी की एडवाइजरी
गौतम बुद्ध नगर : डीएम मनीष कुमार वर्मा के निर्देशों के क्रम में जिला कृषि रक्षा अधिकारी गौतम बुद्ध नगर ने जनपद में किसानों को खरीफ की फसलों को कीट/रोग के प्रकोप से बचाने के उद्देश्य से एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि खरीफ की मुख्य फसलों में धान एक प्रमुख फसल है, इस समय मौसम में हो रहे उतार-चढ़ाव को देखते हुए धान की फसल में कीट/रोग लगने की संभावना अधिक होती है। उन्होंने धान में लगने वाले कीट/रोग एवं उसके उपचार के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि-
धान का भूरा फुदका का किट
इस किट के प्रौढ एवं शिशु दोनों पौधे को हानि पहुंचाते हैं। यह तने तथा पत्ती के निचले भाग से रस चूसते हैं तथा आवश्यकता से अधिक रस चूसने की स्थिति में पौधे की पत्तियां प्रकाश संश्लेषण की क्रिया नहीं कर पाते हैं, जिसके कारण धान की फसल को अत्यधिक हानि होती है।
उपचार हेतु
खेत में खरपतवार को न होने दें एवं 1.5 लीटर नीम ऑयल को प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करें तथा इमिडाक्लोरोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एल. 125 मिली0 रसायन की मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 400-500 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें अथवा कार्बोफ्यूरान 3जी की 20 किग्रा0 मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करें। मैलाथियान 5 प्रतिशत धूल 20-25 किग्रा0 अथवा फेनवेलरेट 0.4 प्रतिशत धूल 20-25 किग्रा0 मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर छिडकाव करें।
तना छेदक
तना छेदक कीट की सूंडिया ही धान की फसल को नुकसान पहुंचाती है तना छेदक प्रौढ सफेद रंग के होते है, जोकि प्रातः काल में पत्ती के ऊपर पाये जाते हैं।
उपचार हेतु
धान की फसल में तना छेदक के बचाव हेतु क्योरोपाइरिफाॅस 20 प्रतिशत ई.सी. रसायन की 1.500 लीटर मात्रा या मोनोक्रोटोफाॅस 36 प्रतिशत ई.सी. रसायन की 1.500 लीटर मात्रा को 800-900 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिडकाव करें।
धान का बकेनी रोग
धान के इस रोग में धान का पौधा सामान्य से अधिक लम्बा हो जाता हैं तथा मुख्य तना सूखने लगता है और जिस पर बाली भी नहीं आती है।
उपचार हेतु
धान की फसल में बकेनी रोग हो जाने पर सबसे पहले खेत से पानी निकाल दे, रोग ग्रस्त पौधे को खेत से निकाल कर मिट्टी में दबा दे एवं नाईट्रोजन युक्त उर्वरक का प्रयोग करें। बचाव हेतु 500 ग्राम कार्बेन्डाजिम + 250 ग्राम मैंकोजेब रसायन की मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिडकाव करें।
उन्होंने यह भी बताया कि कृषि विभाग द्वारा जनपद के कृषकों को कृषि रक्षा यन्त्र व अन्न भंडार बखारी राजकीय कृषि रक्षा इकाई स्तर से वितरण की जा रही है, जिसके लिए कृषकों को कृषि विभाग के पोर्टल पर जा कर कृषि रक्षा यन्त्र व अन्न भण्डार बखारी के लिए पंजीकरण कराना होगा व वितरण पहले आओ पहले पाओ के आधार पर होगा। अनुदान धनराशि प्राप्त करने के लिए कृषक पंजीकरण कराना आवश्यक हैं। अतः कृषक अपना पंजीकरण जनपद के विकास खण्ड स्तर पर राजकीय कृषि रक्षा इकाई/राजकीय बीज भण्डार या जिला कृषि रक्षा अधिकारी कार्यालय अथवा स्वयं भी जनसेवा केन्द्र से निःशुल्क करा सकते है। पंजीकरण कराने के लिए कृषक के पास मोबाइल नम्बर, बैंक पास बुक, खतौनी व कृषक के आधार नम्बर की छायाप्रति होना आवश्यक है।