प्रमोद यादव
आगरा :- आरटीओ विभाग वह बदनाम नाम जिसने कर रखा है सरकार का भी नाम बदनाम इस विभाग में बिना रिश्वतखोरी के कोई कार्य नहीं होता वहीं सरकार जीरो टॉलरेंस नीति के तहत कार्य करने में लगी हुई है।
सूत्रों के मिली जानकारी के अनुसार आरटीओ विभाग में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के नाम पर जमकर रिश्वतखोरी का खेल चलता है यहां पर 5 साल से अधिक समय से लगातार बने रहने वाले आरटीओ बाबू प्रशांत शर्मा के द्वारा पहले लर्निंग लाइसेंस के नाम पर 800 रुपए पास करने के नाम पर लिए जाते थे। वहीं अब उनको परमानेंट लाइसेंस बनाने का चार्ज भी मिला हुआ है जिसमें उनके द्वारा पास करने के नाम पर 1600 रुपए लिए जाते हैं यह रुपया बाबू प्रशांत शर्मा वह आर आई उमेश कटियार के द्वारा तैनात प्राइवेट लोगों वह दलालों के माध्यम से लिया है
(अधिकांश 80 प्रतिशत) परमानेंट लाइसेंस रिश्वतखोरी के दाम बनाए जाते हैं और वाहन स्वामियों को अधिक जानकारी यातायात नियमों की न होने के कारण सड़क हादसे आदि होने की संभावनाएं बनी रहती हैं मगर संबंधी बाबू प्रशांत शर्मा वह आर आई को रिश्वतखोरी के दम पर परमानेंट लाइसेंस पास करने से मतलब है।
सूत्रों का दावा है यदि लाइसेंस संबंधी पिछले 5 साल की उच्च स्तरीय जांच विजिलेंस या अन्य किसी एजेंसी से कर ली जाए तो शहर की जनता बताएगी उनके द्वारा लाइसेंस बनवाने के नाम पर कितने रुपए खर्च किए और क्या उनके द्वारा आरटीओ विभाग में कोई टेस्ट पास किया गया 80 प्रतिशत जनता के द्वारा जवाब मिलेगा हमारे द्वारा कोई भी टेस्ट आदि नहीं दिया गया अधिकांश ड्राइविंग लाइसेंस रिश्वतखोरी के दम पर पास किए जाते हैं जिसमें प्रति लाइसेंस 1600 रुपए बाबू प्रशांत शर्मा वह आई आई उमेश कटिहार के द्वारा रिश्वत के रूप में लिए जाते हैं।
रिश्वत के लिफाफे में है दम परिवहन मुख्यालय को रखते हैं जेब में हम और ट्रांसफर रुकवाया है और रुकवाएंगे आगे हम
आरटीओ विभाग के सूत्रों द्वारा बताया जाता है उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा ट्रांसफर नीति पॉलिसी लागू करने के बाद जिले में 3 साल वह मंडल में 7 साल तैनाती के आदेश पारित किए गए मगर रिश्वतखोरी के दम पर एक ही जिले में 5 साल से अधिक समय तक ट्रांसफर रुकवाने वाले बाबू प्रशांत शर्मा व आर आई उमेश कटियार कहते हैं रिश्वतखोरी में है दम ट्रांसफर रुकवाने के लिए लखनऊ मुख्यालय पर रिश्वत का लिफाफा भेज कर ट्रांसफर रुकवा लेते हैं हम।
सूत्रों द्वारा यह भी बताया जाता है कि यह अकेले प्रशांत शर्मा का ही मामला नहीं है आरटीओ में ही तैनात आर आई उमेश कटिहार द्वारा भी पिछले 5 साल से अधिक समय से बने हुए हैं। यदि उच्च स्तरीय जांच विजिलेंस अथवा अन्य किसी एजेंसी से हो जाए तो ड्राइविंग लाइसेंस से संबंधित रिश्वतखोरी का खेल खुलकर आ जाएंगा।
देखने वाली बात यह होगी कि आखिर कब तक रिश्वतखोरी के बल पर परिवहन मुख्यालय से अपना ट्रांसफर रुकवाने में कामयाब रहते हैं या कोई विजिलेंस या अन्य कोई एजेंसी इनकी उच्च स्तर जांच करते हुए कार्रवाई को अमल में लाती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा।