गांदरबल और पीड़ित
गांदरबल की धरती हुई लाल,
पीड़ित परिवार हो गए बेहाल।
सिर्फ एक डॉक्टर छह मजदूर,
इनकी जिंदगी हो गई काफूऱ।
अब परिवार का कौन रखवाला?
इनकी जिंदगी हो गई धर्मशाला।
गांदरबल की धरती हुई लाल,
पीड़ित परिवार हो गए बेहाल।
मासूमों के सर से उठ गया साया,
इन मास्टर माइंडो ने क्या पाया?
उन बेगुनाहों का खून ही बहाया,
देश ने तो इन लालों को गँवाया।
गांदरबल की धरती हुई लाल,
पीड़ित परिवार हो गए बेहाल।
अब एक्शन में आओ सरकार,
पीड़ित भी अब मांग रहे इंसाफ़।
करों इनके आँसूओं का हिसाब,
नेस्तनाबूत कर मिला दो खाक!
हो जाए अब आतंक राख-राख।
संजय एम. तराणेकर
(कवि, लेखक व समीक्षक)
इंदौर (मध्यप्रदेश)