उसे कोई क्या गिरायेगा जिसको चलना ही ठोकरों ने सिखाया है,उसे मंजिल कोई क्या बताएगा जिसने अपना रास्ता स्वयं बनाया है-इंजीनियर लख्मीचंद यादव
पिछले 41 वर्षो में लगातार हमने अपनी नंगी आंखों से इस मौकापरस्ती दुनिया को करीब से देखा है विपत्ति आने से पहले तो हर कोई अपना सगा और घनिष्ठ होता है परंतु विपत्ति आते ही साथ देना तो दूर कोई दूर-दूर तक भी साथ होना नजर नही पड़ता ये विपत्ति ही एक ऐसी अनमोल परीक्षा है जिसमे अपने पराए की सही से पहचान होती है।इसलिए मेरे निजी विचार से जीवन मे हर किसी पर एक बार विपत्ति जरूर आनी ही चाहिए ताकि पता चल सके कि इस मौकापरस्ती दुनियां में कौन अपना है और कौन अपना नही है।
हम रात टीवी पर “बिग बॉस” देख रहे थे “बिग बॉस” में “विशाल” नाम के लड़के ने “कृतिका” नाम की महिला को सिर्फ यही बोला कि “कृतिका भाभी” मुझे दिखने में अच्छी लगती है इसमें विशाल ने कौनसा गुनाह किया लेकिन “कृतिका” के पति “अरमान मलिक” ने उसे पहले सैकड़ो बुरी-बुरी गालियां देकर जलील किया फिर “विशाल” को उसने जोर से दो थप्पड़ भी जड़ दिए लेकिन “विशाल” का साथ नेजी लड़के के सिवाय “बिग बोष” में किसी ने भी नही दिया जबकि “लवकेश कटारिया” सहित उसके केई अन्य बहुत घनिष्ठ मित्र थे सिर्फ (नेजी) लड़के ने “विशाल” से दूर होते हुए भी मानवता का फर्ज ईमानदारी से निभाया और “विशाल” का मजबूती से पक्ष लिया सभी भारतवासीयों से हमारी अपील है आप सभी (नेजी और विशाल) को वोट देकर सपोर्ट करे क्यूंकि आज ऐसे लोगो की ही हर जगह जरूरत है।
इसी तरह नोकरी में सन 2001 में हमारे कट्टर धुर विरोधी अनिल गौतम और पंकज शर्मा को सन 2013 में नोकरी से जबरन निकाला जा रहा था तब हमने ही उनके अंशुओ को देखकर उनकी पीड़ाओं को महसूस करके अपना कड़ा विरोध दिखा के और अपना प्रभाव दिखा के दोनों की नोकरी को बचाया जबकि ये दोनों लोग हमको नोकरी में एक नजर देखना तक भी पसंद नही करते थे बल्कि ये दोनों हर दिन हमको नोकरी से बाहर करवाने की बड़ी बड़ी घिनोनी साजिशें रचते थे तब भी हमने मानवता का फर्ज निभाकर इनकीं नोकरी को बचाया।
100 साल जिंदा रहने के लिए 100 वर्ष की उम्र होना जरूरी नही,बस आप एक दिन ऐसा अच्छा कार्य कर जाना की ये दुनिया हमेशा-हमेशा तुम्हे उस अच्छे कार्य की वजह से याद करती रहे।जब हमारी लेखनी के कोई टक्कर में नही है तो बताओ हमारे कार्यो को कौन टक्कर देगा??
दोस्तो इस दुनिया मे सिर्फ दो तरह के लोग होते है एक “बुरे” और “अच्छे” ।बुरे “लोग” अच्छाई में भी हर वक्त बुराई ही खोजते है लेकिन अच्छे लोग लाख बुराई होने पर भी बुराई में अच्छाई ही खोजते है और बुरे वक्त में मजबूती से वो साथ भी खड़े होते है।ऐसे “अच्छे” लोग हर जगह सिर्फ 1% ही होते है उससे अधिक नही।
ध्यान रहे सत्य को किसी की भी सिफारिश व सहारे की जरूरत नही क्यूंकि सत्य खुद में ही बहुत बलवान होता है।आप देखिए सत्य मार्ग पर चलने से हम आज वहां पहुच गए जहां पहुचने की हमने स्वयं भी कल्पना नही की थी।
संघर्ष और जनसेवा है हमारा लक्ष्य।
इंजीनियर लख्मीचंद यादव राष्ट्रिय अध्यक्ष भारतीय जनसेवा मिशन पंजिकृत-नीति आयोग भारत सरकार सम्पर्क-9927530581