आज अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर विशेष : रोग के खिलाफ योग, नहीं तो फिर भोग
यह योग ही ऐसा होता है ,जो हर रोग पर विजय पता है । वह चाहे शारीरिक रोग हो या मानसिक रोग। इसका आध्यात्मिक पक्ष ही यह भी प्रमाणित करता है कि योग से सब कुछ किया और पाया भी जा सकता है।
मृत्यु के खिलाफ भी जीवन का यह योग हर रोग के खिलाफ भी सफलता प्रदान करने वाला होता है। माना जाता है कि जीवन में योग नहीं है। इसीलिए रोग है और जब रोग है तो फिर उसका भोग भी है । मतलब योग की उपेक्षा करने वाले को रोग भोगना ही पड़ता है। – – – और अगर जीवन में योग है तो फिर असमय मौत पर विजय पाने के साथ ही असंभव को संभव भी बनाया जा सकता है। यहां तक की न केवल शारीरिक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है ,बल्कि जीवन यात्रा को भी उम्र बढ़ाने के रूप में और ज्यादा लंबा किया जा सकता है।