ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी भारत के दौरे पर:
एन0के0शर्मा
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की है। जयशंकर ने लैमी से मुलाकात के बाद कहा- ये अहम है कि दोनों देश मिलकर वैश्विक मुद्दों पर काम करें।
14 साल बाद सत्ता में आई लेबर पार्टी ने कुछ दिनों पहले ही कामकाज शुरू किया है। ऐसे में सरकार में आते ही ब्रिटेन के विदेश मंत्री के भारत दौरे को कई कारणों से अहम बताया जा रहा है।
लेबर पार्टी और भारत
भारत की आज़ादी के समय लेवर पार्टी से ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली की इस बात के लिए आलोचना की गई कि उन्होंने भारतीयों की जान की कीमत पर इसका जल्दबाज़ी में विभाजन होने दिया।
साल 1947 में जब भारत का विभाजन हुआ तो इससे असर लाखों लोगों पर हुआ। कितने ही लोगों को विस्थापित होना पड़ा। कितने ही लोगों की जान चली गई।
लेबर पार्टी के नेता रॉबिन कुक ने विदेश मंत्री के तौर पर कश्मीर के मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश करके बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था।
जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर जेरेमी कॉर्बिन के नेतृत्व वाली सरकार की नीति को लेकर भी नाराज़गी देखी गई थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा?
ब्रितानी विदेश मंत्री से मुलाक़ात के बाद लैमी ने कहा, “यह अहम है कि भारत- ब्रिटेन वैश्विक मुद्दों और मंचों पर एक साथ काम करें।”
भारत यात्रा के दौरान लैमी की मुलाकात राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से भी होनी है।
ख़ास बात यह भी है कि आम बजट के बाद व्यस्तता के बावजूद पीएम मोदी लैमी से मिले।
मोदी को आमतौर पर किसी देश के विदेश मंत्री से मुलाक़ात करते हुए नहीं देखा जाता है।
इस मुलाक़ात के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ‘‘ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी से मिलकर खुशी हुई। व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करने के लिए मैं प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर की प्राथमिकता की सराहना करता हूं।”
लैमी की इस यात्रा में एक तरह की सावधानी भी देखने को मिली है। दोनों देशों के बीच जो साझा घोषणा हुई है वह परंपरा से हटकर भी है।
दोनों देशों ने एक नई तकनीकी सुरक्षा साझेदारी पर सहमति जताई है।
अधूरे काम जो करने हैं पूरे:
पत्रकारों के साथ बातचीत में लैमी के शब्द काफ़ी नपे-तुले थे। उन्होंने भारत को एक ‘महाशक्ति’ और महत्वपूर्ण साझेदार के तौर पर सराहा है।
यह ऐसी बैठक थी जिसके पक्ष में दोनों ही देश थे और इसके लिए समय निकालने को तैयार थे।
इस दौरे में लेबर पार्टी की ख़ास नज़र व्यापार पर थी। अगर वह चाहती है कि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था आगे बढ़े तो ब्रिटिश कंपनियों को भारतीय भागीदारों के साथ ज़्यादा व्यापार करने की ज़रूरत होगी।
भारत की अर्थव्यवस्था इस दशक के अंत तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की तरफ आगे बढ़ रही है। लेकिन आँकड़े बताते हैं कि भारत ब्रिटेन का 12वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
लैमी ने कहा, “वैश्विक महाशक्ति भारत के साथ हम बहुत कुछ कर सकते हैं। हमारा एक लम्बा इतिहास है और भारत के साथ बहुत पुराने संबंध हैं। यह दोनों देशों की अर्थव्यवस्था के लिए जीत की स्थिति है।”
डेविड लैमी ने कहा है कि ब्रिटेन भारत के साथ मिलकर आने वाले महीनों में एक नए मुक्त व्यापार समझौते पर सहमति बनाने के लिए काम करेगा। इस साल दोनों देशों में चुनावों की वजह से इस मुद्दे पर बातचीत बहुत आगे नहीं बढ़ पाई है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर नज़र
लैमी का यह भारत दौरा केवल अर्थव्यवस्था को लेकर नहीं है। इसमें एक व्यापक भू-राजनीतिक मुद्दे भी शामिल हैं।
इसमें रूस-यूक्रेन जंग और चीन से जुड़े मुद्दे भी शामिल हैं।
डेविड लैमी कथित ‘ग्लोबल साउथ’ के साथ ब्रिटेन के संबंधों को फिर से स्थापित करना चाहते हैं।
भारत विकासशील देशों के इस कमज़ोर समूह में ख़ुद को एक प्रमुख खिलाड़ी के तौर पर देखता है।
लैमी के मुताबिक़- इस मुद्दे पर ब्रिटेन को बोलने की जगह सुनने की ज़्यादा ज़रूरत है।
लैमी की इच्छा पर्यावरण के अनुकूल टेक्नोलॉजी पर साझा हितों और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा ख़तरों, ख़ास तौर पर चीन के बारे में बात करने की थी। लैमी भारत के रूस से तेल और गैस खरीदने के मुद्दे पर बात करने को कम उत्सुक थे।
भारत का रूस से सस्ता कच्चा तेल ख़रीदना यूक्रेन समर्थक पश्चिमी देशों के लिए चर्चा का विषय रहा है।
उन्होंने कहा, “लोकतांत्रिक समुदायों में आपसी मतभेद हमेशा बने रहेंगे। इसलिए दुश्मन की मदद करने वाले सहयोगी देश को माफ़ करना होता है।”
भारत के मंत्रियों ने लैमी की इस यात्रा को लेबर पार्टी की सरकार के साथ संबंधों के लिहाज से एक अच्छे मौक़े तौर पर देखा है, जो अगले कुछ समय के लिए ब्रिटेन में सत्ता में रह सकती है।
दोनों देशों के हित:
दोनों देशों के बीच इस मुलाक़ात का मक़सद भी यही है कि लेबर पार्टी की सरकार अपने सहयोगी के साथ संबंधों में नई जान डालने और उसे फिर से स्थापित करने के लिए उत्सुक दिखी है।
डेविड लैमी ने इसके लिए अपने पसंदीदा शब्दों का भी इस्तेमाल किया। उन्होंने ”भारत को सबसे बड़ा इनाम” बताया।
उन्होंने कहा है कि भारत के साथ ब्रिटेन के रिश्ते उम्मीदों के मुताबिक़ नहीं हैं, लेकिन कई मुद्दों पर दोनों देशों के हित एक जैसे हैं। मौजूदा चुनौती भरे दौर में भारत के साथ सहयोग करना चाहिए।
डेविड लैमी की यह यात्रा दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते की संभावना पर ब्रिटेन का ध्यान खींचने के लिहाज से भी अहम है।
भारत को उम्मीद है कि इससे ब्रिटेन भारतीय छात्रों और पेशेवरों को वीज़ा देने में नरमी बरतने के लिए भी मज़बूर होगा।
हाल ही में एशियाई मूल के ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सरकार ब्रिटेन में सत्ता से बाहर हुई है, सुनक के भारत से पारिवारिक संबंध थे। इसे भारत के लिए एक नुक़सान के तौर पर भी देखा जाता है।
लेबर पार्टी को भी इस बात का अहसास है और सुनक के जाने से बनी खाली जगह को वो जल्द से जल्द भरना चाहती है।