वही मनुष्य रिकार्ड तोड़ता है जिसके रगों में खून नही सफल होने का जुनून दौड़ता है-इंजीनियर लख्मीचंद यादव
यह कड़वा सच है संगर्ष भी उन्ही को चुनता है जिनमे विषम परिस्थितियों से जंग लड़ने की ताकत होती है।
छतीसगढ़ राज्य की फूलबासन यादव जब गरीबी से तंग आकर दो वक्त की रोटी के लिए दर दर भीख मांगने पर मजबूर हुई तो जालिम दुनिया के लोगो ने फूलबासन यादव को भीख न देकर उनकी गरीबी का मजाक उड़ाकर उनको हर रोज इतना अपमानित किया कि वो एक दिन अपने तीनो बच्चो के साथ जहर खाकर आत्महत्या करने पर मजबूर हो गई तो फूलबासन जी की बड़ी बेटी ने रौ-रौ कर बोला मां हम भूखे रहकर जी लेंगे पर हमको मरना नही है तो फूलबासन जी ने जहर फ़ेंक कर उसी दिन ये दृढ़ संकल्प कर लिया की अब मुझे खुद के लिए नही अब मुझे समाज के लिए जीना है।
आज देश की सर्वश्रेष्ठ समाजसेविका है पद्मश्री फूलबासन यादव जिन्होंने 20 लाख से भी अधिक महिलाओं को रोजगार देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाकर इतिहास रच दिया है।आज 80 से भी ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कार पद्मश्री फूलबासन यादव जी के पास है।
जो मनुष्य अपनी जिंदगी में कुछ पाना चाहते है वो समुंदर में भी पत्थरो के पुल बना लेते है।छतीसगढ़ राज्य की बहन फूलबासन यादव और फरीदाबाद हरियाणा की साहसी बेटी किरण कनोजिया इसके दो बड़े उदाहरण है।
संघर्ष प्रगति का आमंत्रण है जो भी इसे स्वीकारता है उसका जीवन निखर जाता है।
संघर्ष और जनसेवा है हमारा लक्ष्य।