नीति आयोग पर स्वार्थ की अनीति:
एन0के0शर्मा
नीति आयोग, जो 2015 में योजना आयोग के स्थान पर स्थापित किया गया था, भारत की आर्थिक और सामाजिक नीतियों के निर्माण में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है। इसकी स्थापना का उद्देश्य एक अधिक समावेशी और सहयोगी दृष्टिकोण से नीति निर्माण को बढ़ावा देना था। हालांकि, हाल की घटनाओं और परिस्थितियों ने नीति आयोग की स्वतंत्रता, पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
हाल के वर्षों में, नीति आयोग पर कई बार यह आरोप लगाया गया है कि यह सरकार की नीतियों का समर्थन करने के लिए अपने आंकड़ों और रिपोर्टों को संशोधित करता है। उदाहरण के लिए, कुछ रिपोर्टों में बेरोजगारी और आर्थिक विकास के आंकड़ों को लेकर विवाद उत्पन्न हुए हैं। यह देखा गया है कि कभी-कभी आयोग की रिपोर्टें और विश्लेषण सरकार की अपेक्षाओं के अनुरूप ढाले जाते हैं, जिससे उसकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगते हैं।