जो काम दो पैर वाले भी नही कर सके,वो काम फरीदाबाद हरयाणा की साहसी बेटी किरण कनोजिया ने सिर्फ एक पैर से ही कर दिखाया है-इंजीनियर लख्मीचंद यादव

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जो काम दो पैर वाले भी नही कर सके,वो काम फरीदाबाद हरयाणा की साहसी बेटी किरण कनोजिया ने सिर्फ एक पैर से ही कर दिखाया है-इंजीनियर लख्मीचंद यादव

किरण कनौजिया भारत की पहली महिला ब्लेड रनर हैं,जिन्होंने अपने जीवन में कठिनाइयों,चुनोतियों का सामना करते हुए अद्वितीय साहस और धैर्य का परिचय दिया है। उनका जीवन संघर्ष और प्रेरणा की एक अद्वितीय कहानी है।

किरण कनौजिया का जन्म और पालन-पोषण उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद में हुआ। एक मध्यम परिवार में जन्मी किरण ने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया। बस उनका सपना था कि वे एक दिन बड़ी सफलता प्राप्त करें। लेकिन जीवन ने उनके सामने एक बड़ी चुनौती रखी।
2011 में, एक भयावह सड़क दुर्घटना में किरण का एक पैर कट गया। यह घटना उनके जीवन का सबसे कठिन समय था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनकी आत्मा में अदम्य साहस और दृढ़ निश्चय था। उन्होंने प्रोस्थेटिक पैर (ब्लेड) का सहारा लिया और फिर से चलने और दौड़ने का संकल्प लिया।

किरण ने अपनी शारीरिक अक्षमता को अपनी ताकत में बदल दिया। उन्होंने प्रोस्थेटिक ब्लेड के साथ दौड़ना शुरू किया और जल्द ही वे भारत की पहली महिला ब्लेड रनर बन गईं। उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्धि दिलाई।

किरण कनौजिया ने अपने अनुभवों के माध्यम से दूसरों को प्रेरित किया है। वे विभिन्न मंचों पर अपने संघर्ष और सफलता की कहानी भी साझा करती हैं और लोगों को उनके सपनों का पीछा करने के लिए प्रेरित करती हैं। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि किसी भी कठिनाई का सामना धैर्य और साहस से किया जा सकता है।किरण कनौजिया को हमारा सैल्यूट।

जनवरी 2025 में देश की राजधानी दिल्ली में भारतीय जनसेवा मिशन देश की 40 अंतर्राष्ट्रीय महान विभूतियों के साथ-साथ भारत की प्रथम ब्लेड रनर किरण जी को भी करेगां सम्मानित।

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