गाजियाबाद विकास प्राधिकरण और बिल्डर एसोसिएशन की भूमिका पर उठ रहे सवाल

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गाजियाबाद विकास प्राधिकरण और बिल्डर एसोसिएशन की भूमिका पर उठ रहे सवाल

  1. -बिल्डरों का गिरोह अवैध निर्माण कार्यों पर पुलिस प्रशासन को कर रहा है भ्रमित
  2. -अवैध कार्यों पर सवाल उठानेवाले को ही पुलिस ने बना दिया आरोपी
  3. -मामले में प्रदेश के एक बड़े मंत्री का नाम भी आया सामने

गाजियाबाद :  शाहीबाबाद में बिल्डर अवैध मकानों का निर्माण कर किस तरह से स्थानीय शासन और प्रशासन के आंखों में धूल झोंकते हैं यह किसी से छिपा नहीं है, लेकिन अब तो राजेंद्र नगर बिल्डर एसोसिएशन शिकायतकर्ताओं को ही आरोपी बनाकर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा रहा है। हैरान करनेवाली बात यह है कि शालिमार गार्डन थाने में राजेंद्र नगर बिल्डर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुधीर मान ने एसोसिएशन की तरफ से शिकायत दर्ज कराई है, जहां पुलिस ने बिना जांच पड़ताल के मुकदमा दर्ज कर लिया।

शाहीबाबाद में शायद ही कोई गली और कॉलोनी बची होगी जहां बिल्डरों ने नियमों को ताक पर रखकर अवैध निर्माण न किया हो। जह शिकायतकर्ता की शिकायत पर कार्रवाई हो जाती है तो बिल्डर उन्हें अपना दुश्मन मानने लगते हैं और किसी न किसी तरीके से उन्हें फंसाने की साजिश भी रचने लगते हैं। कुछ ऐसा ही मामला फिर एक बार सामने आया है जहां पुलिस ने सिर्फ मोबाइल नंबर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर लिया। इतना ही नहीं जिन लोगों के नाम मुकदमा दर्ज हुआ है उनमें से अधिकांश लोग अज्ञात है लेकिन एक नाम बहुत ही चौंकानेवाला है। नेशनल प्रेस टाइम अखबार के वरिष्ठ और पश्चचिमी उत्तर प्रदेश के एक चर्चित पत्रकार सुखपाल सिंह। सुखपाल सिंह के ही शिकायत पर लगभग 143 अवैध मकानों को गाजिबायद विकास प्राधिकरण ने सील कर दिया। हालात यह हो गए हैं कि अब इन बिल्डरों द्वारा बनाए गए मकानों की बिक्री पर रोक लग गई है साथ ही इलाके में अवैध निर्माण कार्यों पर भी लगाम लग गई है।

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा लगातार हो रहे कार्रवाई से परेशान बिल्डरों ने जीडीए के अधिकारियों के साथ मिलकर नेशनल प्रेस टाइम के संपादक सुखपाल सिंह को मुंहमांगी रकम का ऑफर देने लगे। वहीं जब बात नहीं बनी तो जिले के ही विभिन्न पत्रकारों से संपर्क साध कर हर महीने विशेष रकम पहुंचाने की पेशकश की गई। बाताया जा रहा है कि जब बात नहीं बनी तो बिल्डरों से सेवा लेने वाले प्रदेश के मंत्री ने मदद का आश्वासन दिया। सूत्रों कि मानें तो मंत्री जी ने सीधे पुलिस कमिश्नर को फोन कर मुकदमा दर्ज करने का आदश दे दिया। पुलिस ने भी अपना फर्ज निभाते हुए तुरंत मुकदमा दर्ज कर लिया।

क्या पुलिस की नजर में जीडीए द्वारा की गई कार्रवाई गैरकानूनी

बीते दिनों गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा अवैध मकानों को सील करने का जो कार्य किया गया है शायद गाजियाबाद पुलिस इन कार्रवाईयों को गैरकानूनी मान रही है क्योंकि जिसकी शिकायत पर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने कार्रवाई की है पुलिस ने उसी के खिलाफ बिल्डरों की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर दिया। अब सवाल यह है कि अगर शिकायतकर्ता बिल्डरों को ब्लैकमेल कर रहे थे तो गाजियाबाद प्राधिकरण ने उनकी शिकायत पर कार्रवाई क्यों की। वहीं प्राधिकरण द्वारा बिल्डरों के खिलाफ किए गए सीलिंग गैरकानूनी है तो क्या गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए कोई कदम उठाएंगे या फिर मंत्री जी के आदेश पर सिर्फ सच्चाई ऊजागर करनेवाले पत्रकारों को ब्लैकमेलर बनाते हुए मुकदमे दर्ज होते रहेंगे।

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