फिर हों सकता है कारगिल जैसा दूसरा युद्ध!

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फिर हों सकता है कारगिल जैसा दूसरा युद्ध!
भारत में 600 पाकिस्तानी कमांडो दाखिल होने की खबर!

एन0के0शर्मा
भारत की इंटेलिजेन्स को इस बारे में रिपोर्ट मिल चुकी है। चार साल बाद इस क्षेत्र में भारतीय सेना की वापसी हुई है। पहले यहाँ सिर्फ सीमा सुरक्षा बल की तैनाती थी। 2020 में चीन से टकराव के बाद जवानों को जम्मू रीजन से हटाकर लद्दाख में लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर तैनात किया गया था। भारतीय सेना ने अतिरिक्त तौर पर पैरा स्पेशल फोर्स के 3000 जवान, 500 कमांडो, 200 स्नाइपर्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान इस इलाके में उतार दिए हैं। उड़ीसा से बीएसएफ की दो बटालियन को भी जम्मू भेजा गया है। इसके अलावा एक हेडक्वार्टर ब्रिगेड, तीन इन्फैंट्री बटालियन और कुछ एलीट पैरा स्पेशल फोर्स के जवानों को तैनात किया गया है। साथ ही सीआरपीएफ की कंपनियां भी वहां लगातार पहुँच रहीं हैं। भारतीय सेना ने पहाड़ियों की गुफाओं में छिपे आतंकियों और पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराने के लिए ऑपरेशन सर्प विनाश 2।0 शुरू किया है, जो बीते 21 वर्षों में सबसे बड़ा आतंकवाद विरोधी अभियान है। इस अभियान पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की सीधी निगरानी है। इसकी रिपोर्ट लगातार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल और सेना प्रमुख को भेजी जा रही है।

भारतीय सेना ने ग्राम रक्षा गार्ड को भी सक्रीय कर दिया है, जिन्होंने 1995 से 2003 के बीच जम्मू में आतंकवाद को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इन ग्राम रक्षा गार्ड को स्थानीय क्षेत्र और यहां की चुनौतियों की पूरी समझ है, इसलिए सेना और सुरक्षा बल आतंकवादियों के छिपे होने वाले दुर्गम इलाकों तक पहुंचने में उनकी सहायता ले रहे हैं।

सैन्य सूत्रों के अनुसार, पहाड़ी इलाकों के 80 किमी दायरे में जवान तैनात हो चुके हैं और उन्होंने नदियों, बरसाती नालों, घुसपैठ के पुराने रास्तों को पूरी तरह अपने कब्जे में ले लिया है। इसके साथ ही पूरे जम्मू कश्मीर में ओवर ग्राउंड वर्कर्स की धरपकड़ भी जारी है, जो आतंकियों को पनाह, खाना-पानी मुहैया कराते हैं और उन्हें सेना के मूवमेंट की खबर भी देते हैं। लेकिन इन ओवर ग्राउंड वर्कर्स को पकड़ना सेना के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि एक सामान्य सा दिखने वाला दुकानदार भी ओवर ग्राउंड वर्कर हो सकता है, जो सिर्फ मजहबी कट्टरपंथ में अँधा होकर आतंकियों की मदद करने में लगा हुआ है और देश के साथ गद्दारी कर रहा है। इसके लिए सेना ने अपने ख़ुफ़िया सूत्रों को सक्रीय कर दिया है और कार्रवाई जारी है।

स्पष्ट है कि भारत के चुनावी परिणामों से पाकिस्तान और आतंकी बौखलाए हुए हैं और अब वे जम्मू कश्मीर को अशांत करने के लिए लगातार हमले कर रहे हैं। पर अब वे बड़े अटैक की तैयारी में नज़र आ रहे हैं, जिससे देशभर में बवाल मच जाए। बताया जा रहा है कि, इसमें चीन भी आतंकियों का साथ दे रहा है। बीते कुछ दिनों में जो आतंकी मारे गए हैं, उनके पास से चीनी हथियार बरामद हुए हैं। बीते एक महीने के भीतर आतंकी घटनाओं में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। सबसे पहले तो नई सरकार के शपथ ग्रहण वाले दिन 9 जून को आतंकियों ने जम्मू के रियासी में श्रद्धालुओं से भरी बस को निशाना बनाया था, जिसमें 9 लोगों की जान चली गई थी, इसमें एक ओवर ग्राउंड वर्कर हाकम दीन पकड़ाया था, जिसने खाना-पानी से लेकर पूरी साजिश रचने में आतंकियों की मदद की थी। 11 जून को कठुआ के एक गांव में आतंकी घुस आए थे, जिसमे सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को ढेर कर दिया था। 12 जून को आतंकियों ने डोडा जिले में सेना के अस्थायी ऑपरेटिंग बेस पर गोलीबारी की थी, जिसमे सेना के दो जवान जख्मी हो गए थे और एक आतंकी मारा गया, बाकी भाग गए। 6 जुलाई को कुलगाम के दो गावों में हुई मुठभेड़ में दो जवान बलिदान हुए थे।

इसके बाद आतंकियों ने कठुआ में 8 जुलाई को सेना की गाड़ी को निशाना बनाया, जिसमें 5 जवान बलिदान हो गए थे। नौशेरा में 10 जुलाई को आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की थी, लेकिन सुरक्षाबलों ने उसे नाकाम कर दिया था। फिर 16 जुलाई को आतंकियों के साथ एनकाउंटर में सुरक्षाबलों के 4 जवान वीरगति को प्राप्त हुए और एक पुलिसकर्मी की भी जान चली गई। इस प्रकार चुनावों के बाद बीते एक महीने में आतंकी 7 बड़ी वारदातों को अंजाम दे चुके हैं, जिनमें 12 जवान बलिदान हुए हैं और 9 आम नागरिकों की जान गई है, जबकि सिर्फ 5 आतंकी मारे गए हैं। ये आतंकी हमला करने के बाद फ़ौरन कहीं भागकर छिप जाते हैं, जिसमे स्थानीय लोगों द्वारा उन्हें मदद दिए जाने की आशंका है।

घाटी में बीते दिनों एक ऐसा घर मिला था, जिसकी अगर सुरक्षाबल पुरी तलाशी भी ले लें, तो भी वे आतंकी को ना पकड़ पाएं और आतंकी हमला करने के बाद वहां आसानी से छिप सकें। उस घर में अलमारी के अंदर बंकर बनाया गया था, जिसमे 4-5 आतंकी हथियार सहित छिप सकते थे और बाहर वालों को कुछ पता नहीं चलता। माना जा रहा है कि, सूबे में ऐसे और भी घर हो सकते हैं। पर फ़िलहाल सुरक्षाबलों का पूरा ध्यान, पहाड़ों में छिपे आतंकियों के खात्मे पर है, साथ ही उनके मददगारों को भी दबोचा जा रहा है।

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