आखिरकार आगरा आरटीओ के रिश्वतखोर बाबू का हो गया ट्रांसफर

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आखिरकार आगरा आरटीओ के रिश्वतखोर बाबू का हो गया ट्रांसफर

खबर का हुआ असर

प्रमोद यादव
आगरा :- एक कहावत है बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी कभी तो धार के नीचे आएगी उपरोक्त कहावत के चले आगरा आरटीओ के एक बाबू के द्वारा का जाता था मेरे भाई बीजेपी के नेता के साथ ही मेरे लखनऊ मुख्यालय पर मधुर संबंध और आगरा के अधिकारियों को अपनी अवैध कमाई मैं से टेबल के नीचे नमस्ते करने के चल ही मेरा ट्रांसफर नहीं होगा क्योंकि मैं यूनियन का नेता भी हूं मगर यूपी न्यूज़ एक्सप्रेस के समाचारों के द्वारा लगातार किसके कारनामों को खोला गया और खबरों वह मुख्यमंत्री की ट्रांसफर नीति को संज्ञान लेते हुए लखनऊ मुख्यालय के अधिकारियों ने आखिरकार बाबू का बोरिया विस्तार बंधवा दिया।

सूत्रों के मिली जानकारी के अनुसार आगरा आरटीओ में बाबू प्रशांत शर्मा के द्वारा पूर्व में चार्ज के दौरान लर्निंग लाइसेंस में जमकर रिश्वतखोरी के दम पर कंप्यूटर पर बिना टेस्ट परीक्षा कराई कई लोगों के लर्निंग लाइसेंस पास कर दीजिए जिसकी एवरेज में प्रति लाइसेंस ₹700 लिया जाता था।

विभागीय सूत्रों का कहना है कि यदि आज भी विजिलेंस या अन्य एजेंसी कोई जांच करें तो प्रशांत शर्मा बाबू की कारगुजारी जांच में खुलकर आ जाएगी इनकी रिश्वतखोरी की शिकायत पर ही आय से अधिक संपत्ति की जांच भी पूर्व में अधिकारियों द्वारा की जा रही थी मगर प्रशांत शर्मा बाबू भी एक कदम आगे बढ़ते हुए अपने तथाकथित भाई मनीष शर्मा के नाम से कुछ चीज खरीद लेते थे जो अधिकांश आरटीओ विभाग में ही बना रहता है।
सूत्रों द्वारा यह भी बताया जाता है पूर्व में रहे एआरटीओ प्रशासन ने इस प्रशांत शर्मा बाबू की रिश्वतखोरी की जांच में फर्जी आख्या लगाने के साथ ही कई प्रकार की मदद भी की थी जैसे की रजिस्ट्रेशन विभाग में इसका ट्रांसफर करके उसे कमरे में ऐसी आदि लगवाने में भी इसकी मदद की थी विभाग के एक बाबू ने नाम न छापने की छत पर बताया कि कोई भी अधिकारी किसी की तभी मदद करता है जब उसकी रिश्वतखोरी में से कुछ उसे अधिकारी की जेब में भी पहुंच हो नहीं तो अन्य बाबू के कमरों में भी ऐसी लग गया होता मगर अन्य बाबू टेबल के नीचे से नमस्ते नहीं कर पा रहे थे।
विभागीय सूत्रों का यह भी कहना है प्रशांत शर्मा का भले ही बोरिया बिस्तर बन गया मगर उसे अधिकारी की मेहरबानी फिर भी बनी रहेगी क्योंकि वह विभाग में फिर लौट आया है और प्रशांत शर्मा पर हाथ रखते हुए है। फिरोजाबाद में ट्रांसफर होने के बावजूद भी उसे यहां अटैच कर कर अपने पास बुला सकते हैं क्योंकि कमाओ… सभी को प्यार होते हैं।
देखने वाली बात यह होगी की विभाग के लोग कहते हैं कि उनके जाने के बाद बहुत कुछ सुधार होगा क्या वाकई मैं आरटीओ विभाग में रिश्वतखोरी पर अंकुश लग पाएगा या कोई और भी प्रशांत शर्मा बाबू की तरह किसी अधिकारी का आशीर्वाद प्राप्त करके रिश्वतखोरी में लग जाएगा यह तो आने वाला समय बताएगा।

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